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मुल एम आय डी सी कार्निवल कंपनी द्वारा गरीब किसानो की ज़मीन पर कब्ज़ा

मुल/ नासीर खान :-आज कल हर सरकारी कार्यालय में अधिकारशाहों की मनमानी बेधडक चल रही है ना समय का बंधन है ना हाजीर रहने की जरूरत है घर बैठे काम चल रहे है इन्हे कोई पुछने वाला नही है. एम आयडीसी मुल का अधिकारी कभी आफिस मे नही होता यदी कोई जानकारी लेना है तो किस से ले यह समझ में नही आता अधिकारी का संपर्क नंबर भी कहीं लिखा नही होता हमेशा ताला ही लगा रहता है.बिना अधिकारी के रहे ईतने बडे एम आय डि सी का काम अपने आप ही चल रहा है तो अधिकारियों की नियुक्ती ही क्यों की जाती है. बिना अधिकारी वाली ईसी एम आय डि सी मे कार्निवल कंपनी का काम तेजी से चल रहा‌ है. किसी बडे नेता का ईसमे सहभाग होने की चर्चा है.
Occupation of poor farmers' land by Mul MIDC Carnival Company
ईस कंपनी को दि गयी जगह ऊन किसानों की है जिन्होने अपनी ज़मीन एम आय डी सी को बेची है. एम आय डीसी द्वारा कार्निवल कंपनी को उतनी‌ ही जगह‌ दी जानी चाहीए थी जितनी खरेदी गयी थी. अनेको किसानो ने अपनी जमीन एमआयडीसी को बेची है और बची हुई ज़मीन पर खेती कर रहे थे. लिखित शिकायत के अनुसार गट क्र. 56 की 3.91 आर जगह चौधरी परिवार की थी उसने ईसमे से 3.68 आर जगह एम आय डि‌सी को बेच दी, बची 0.23 आर जगह चौधरी परिवार के नाम रही जिसे गट क्र. 56/1 दिया और एम आय डिसी को दी गयी जगह 3.68 आर को गट क्र. 56/2 दिया गया.एम आय डिसी ने गट क्र.56/2 की जगह 3.68 आर कार्निवल कंपनी को आबंटीत कर दी और कारर्निवल कंपनी ने 56/2 के साथ सात 56/1की 0.23 आर पर कब्ज़ा कर लिया.
उपरोक्त मामले में तहसिलदार सावली को शिकायत की गयी. बडे नेता का कंपनी में सहभाग होने के कारण जाहिर है के तहसिलदार कंपनी द्वारा कब्ज़े पर कंपनी के या एम आय डी सी के खिलाफ कोई कारवाई तो नही करेंगे. तहसिलदार सावली ने शिकायत कर्ता को ही एक पत्र दे दिया के ईसका नकाशा अलग अलग नही बनाया गया है ईसलिए जगह की मोजणी कराना आवश्यक है. एक व्यक्ती की जगह मोजणी करने के लिए पुरे इलाके की जमिनों की मोजनी करना पडता है.जिसका खर्चा हज़ारों मे आता है. तहसिलदार ने कार्नविल द्वारा कब्जा करने पर दोषी ठहराते हुए कंपनी को और एम आय डि सी अधिकारी तथा मोजणी कार्यालय को आदेश देना चाहिए था के पुणर्मोजणी कर कार्निवल द्वारा किया गया कब्जा हटाया जाए और तक्रार कर्ता को उसकी ज़मिन लौटाई जाए.
ईस मामले में कार्नविल कंपनी स्पष्ट कह रही है के एमआयडिसी ने जितनी जगह‌ हमे दी हैं हमने उस पर ही निर्माण कार्य और कंपाउंड किया है. वहीं तहसिलदार सावली लिखित में यह कह रहे है की गट क्रमांक तो दिए गये लेकीन नक्शे नही बनाए गये. यहां सवाल यह उठता है के जब नक्शे ही नही बने तो सिमा कैसे तय हो सकती है. जब बिना नक्शे के सिमा तय नही हो सकती फिर कंपनी किस आधार पर यह कह रही है के उसने कब्ज़ा नही किया. कंपनी को कंपाउंड करना ही था तो भुमापन कार्यालय से पहले नक्शा बनवाती बाद मे कंपाऊंड करती. दुसरा यह के तहसिलदार द्वारा एम आईडीसी और भुमापन कार्यालय को आदेशित किया जाना चाहिए था के गट क्र. 56 /1 और 56/2 की भुमापन कार्यालय द्वारा मोजमाप कर पृथक नक्शे बनाकर दिए जाए ऐसा ना करते हुए शिकायत कर्ता से ही कहा गया के तुम मोजनी करालो, गरिब मोजनी के हजारो रुपये कहां से भरेगा और क्योंकर भरेगा जबके गलती भुमापन की, एम आय डी सी की और कार्नविल की है.जिलाधिकारी द्वारा ईस मामले में संज्ञान लिया जाना चाहीए और किसानो की जमीनों पर से कंपाउंड का कब्ज़ा हटाया जाना चाहीए और अन्याय सह रहे गरीब किसानों को न्याय देना चाहिए ऐसी मांग कब्जा पिडीत किसान गजानन चौधरी ने की है !

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About The Chandrapur Times

यह पोर्टल संपादक, मालिक, प्रकाशक राजेश सनमाहेन सोलापनद्वारा कार्यालय साप्ताहिक दि चंद्रपुर टाइम्स, आक्केवार वाडी, वॉर्ड नं. १, चंद्रपुर, से प्रकाशित किया गया है । प्रकाशित किसी भी लेखन सामग्री पर संपादक सहमत ही हो यह आवश्यक नही । प्रकाशित कि सी भी लेखनपर आपत्ती हाने पर उनका निस्तारण सूचना प्रौद्योगिकी (प्लेटफ़ॉर्म दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) विनियम 2021 के तहत किया जायेगा ।

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