चंद्रपुर :-नागरिकों ने सरकारी अधिकारियों को कई सबूत दिये कि राजुरा-गोविंदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर काम कर रही जीआरआईएल कंपनी अवैध खनन कर रही है. उन्होंने वाहनों को स्वयं जब्त कर पुलिस व राजस्व विभाग को सौंप दिया. इसके बाद भी कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से नाराज कुसलवासियों ने मंगलवार को नाले पर जारी अवैध खनन बंद कर पोकलेन मशीनों से वाहनों को वापस भेज दिया.
ग्रामीणों की इस भूमिका से प्रशासन में हड़कंप मच गया है और ठेकेदार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है.
चंद्रपुर जिले में राजुरा-गोविंदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर काम कर रही जीआरआईएल कंपनी अवैध खनन के कारण चर्चा में है और उसने प्रशासन की अनुमति के बिना पत्थर, मिट्टी और मिट्टी की खुदाई शुरू कर दी है.जिला प्रशासन, खनन विभाग, राजस्व प्रशासन और तालुका के पुलिस प्रशासन को कई शिकायतों के बावजूद केवल कार्रवाई का दिखावा किया जा रहा है.
विगत 8 मार्च को रात 1 बजे देवघाट में पोकलेन मशीन और हाइवा वाहन से अवैध खनन की सूचना मिलने पर तहसीलदार वटकर और थानेदार एकाडे ने वाहनों को जब्त कर तहसील कार्यालय में जमा करा दिया. हालांकि, सुबह उन्हें छोड दिया गया. 20 जून को जब बिना अनुमति के उत्खनन व परिवहन किया जा रहा था तो ग्रामीणों ने वाहनों को रोककर पुलिस बुला ली। रात 11 बजे कोरपना पुलिस मौके पर पहुंची और वाहनों को थाने में जमा कराया गया. पुलिस ने इस आशय से पत्र भेजा कि राजस्व प्रशासन कार्रवाई करेगा. हालांकि, 21 जून की सुबह तहसीलदार ने ये गाड़ियां कंपनी को सौंप दीं. पिछले वर्ष सिंचाई विभाग के शेड की खुदाई कर दीवार तोड़ दी गई थी. इस दौरान खुद कार्यकारी अभियंताओं ने जीआरआईएल कंपनी को नोटिस जारी कर उत्खनन से हुए नुकसान की जानकारी दी. इसके बाद कंपनी ने काम करने का वादा किया. हालांकि इस तरह के खनन से इलाके के कई गांवों को खतरा पैदा हो गया है. इसके चलते ग्रामीणों को संरक्षक की भूमिका निभानी पड रही है. ग्रामसभा को दरकिनार कर अवैध खनन किया जा रहा है, जबकि गांव के जल, जंगल और जमीन पर ग्रामसभा का अधिकार है. इस कंपनी की खुदाई के कारण कोरपना तालुका की कई सड़कें गड्ढे में तब्दील हो गई हैं और कुसल के ग्रामीणों ने सोमवार रात को वाहनों का परिचालन अवरुद्ध कर दिया. हालांकि मंगलवार को फिर जब कुसल नाला पर पोकलेन मशीन से खुदाई चल रही थी तो ग्रामीणों ने आवाज लगाकर खुदाई बंद कर दी और वाहनों को वापस भेज दिया. वे इस बात पर अडे हुए थे कि कंपनी के प्रतिनिधि और प्रशासन के अधिकारी मौके पर नहीं आ जाते वे खुदाई नहीं होने देंगे और कंपनी और ग्रामीणों के बीच टकराव के संकेत मिल रहे हैं.
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प्रशासन की मौन सहमति?
GRIL कंपनी द्वारा अवैध खनन किया जा रहा है इसके बावजूद कई बार प्रशासन द्वारा कार्रवाई का केवल दिखावा किया जा रहा है, कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी. जहां गांवों में सड़क और अन्य संसाधनों का बुरी तरह से नुकसान हो रहा वहीं प्रशासन के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. जब ग्रामीण वही कर रहे हैं जो अधिकारियों को करना चाहिए इसलिए अब लोगों में सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासन अवैध खनन को मौन सहमति दे रहा है.
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