चंद्रपुर : सरदार पटेल महाविद्यालय, चंद्रपुर के हिंदी विभाग द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया। हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए निबंध लेखन, काव्य पाठन और सुविचार लेखन जैसी विविध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। प्रतिभागियों को प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, साथ ही सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
Grand celebration of Hindi Day at Sardar Patel Mahavidyalaya, Chandrapur
हिंदी सेवी पुरस्कार से सम्मान:
महाविद्यालय की परंपरा के अनुसार, प्रतिवर्ष हिंदी के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है। इस वर्ष "स्व. सुशीला देवी दीक्षित हिंदी सेवी पुरस्कार" से डॉ. खत्री महाविद्यालय के हिंदी विभाग प्रमुख, डॉ. रवींद्रनाथ पाटिल को सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार हिंदी साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया। डॉ. पाटिल ने इस सम्मान को अपने जीवन का गर्वपूर्ण क्षण बताया और कहा कि उन्हें यह सम्मान उनके गुरुओं की छत्रछाया में मिली हिंदी शिक्षा का फल है।
कार्यक्रम का शुभारंभ:
हिंदी दिवस समारोह का आरंभ अतिथियों के करकमलों से दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य, डॉ. पी. एम. काटकर ने प्रस्तावना प्रस्तुत की। अपने प्रास्ताविक भाषण में उन्होंने हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने हिंदी विभाग द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों की सहभागिता की सराहना की और विद्यार्थियों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई दी।
इस समारोह के मुख्य अतिथि, पी. डब्लू. एस. महाविद्यालय, नागपुर के हिंदी विभाग प्रमुख, डॉ. सुमेध नागदेवे ने अपने संबोधन में हिंदी को ‘हृदय की भाषा’ बताया। उन्होंने हिंदी के व्यापक प्रसार पर चर्चा की और बताया कि हिंदी अब केवल एक क्षेत्रीय भाषा नहीं है, बल्कि यह पूरे भारत में व्याप्त है। डॉ. नागदेवे ने हिंदी की वैज्ञानिकता और इसके रोजगार के अवसरों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी ही देश की राष्ट्रभाषा बनने की सबसे योग्य भाषा है।
सम्मानित अतिथि का उद्गार:
सम्मानित अतिथि डॉ. रवींद्रनाथ पाटिल ने अपने सत्कार के प्रत्युत्तर में कहा कि यह उनके लिए गर्व का क्षण है कि उन्हें "स्व. सुशीला देवी दीक्षित हिंदी सेवी पुरस्कार" से सम्मानित किया गया है। उन्होंने अपने शिक्षकों का स्मरण करते हुए कहा कि यह पुरस्कार उन्हें अपने गुरुओं की कृपा और शिक्षण के फलस्वरूप प्राप्त हुआ है। डॉ. पाटिल को स्मृति चिन्ह और प्रमाणपत्र प्रदान करके उन्हें सम्मानित किया गया, जो कि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रमोद काटकर और कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. कीर्तिवर्धन दीक्षित के करकमलों द्वारा किया गया।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे डॉ. कीर्तिवर्धन दीक्षित ने अपने अध्यक्षीय भाषण में हिंदी विभाग द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं की सराहना की। उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा काव्य पाठन प्रतियोगिता के माध्यम से नई चेतना के संचार की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी की महत्ता को समझने के लिए विद्यार्थियों को साहित्यकारों के महान साहित्य का अध्ययन करना आवश्यक है। साहित्य के माध्यम से ही समाज में सुधार और जागरूकता लाई जा सकती है, और यही हिंदी का असली उद्देश्य है।
समारोह का सफल समापन:
कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग प्रमुख, डॉ. सुनीता बांसोड ने कुशलतापूर्वक किया, जबकि आभार प्रदर्शन डॉ. शैलेन्द्र शुक्ला ने किया। इस आयोजन की सफलता में हिंदी विभाग के प्रा चंद्रदेव खैरवार, प्रा रीता पाठक, प्रा पूजा सिंह और प्रा प्रणिता गडकरी का विशेष योगदान रहा। महाविद्यालय के कला, वाणिज्य और विज्ञान विभाग के विद्यार्थियों की सक्रिय सहभागिता से यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
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