मुल / नासिर खान:-ईस साल बरसात के कारण अनेको पुराने मकान तो कहीं दिवारें ढह गयी हैं. लेकिन किसी प्राणहाणी का समाचार नही है, वहीं मुल तहसिल के अंतर्गत आने वाले ग्राम फिस्कुटी मे शनिवार की संध्या के समय तय्युब खान नामी व्यक्ती के पुरातन खाली मकान की मिट्टी और ईंटों से बनी दिवार भारी बरसात के चलते पडोसी अशोक रघुनाथ मोहुर्ले के कवेलु के मकान पर भयानक आवाज के साथ धराशाई हो गयी. दिवार गिरने तथा मोहुर्ले के मकान के टुटने के आवाज पर आस पडोस के लोग दौड पडे और अशोक मोहुर्ले और उनकी पत्नी लता अशोक मोहुर्ले को मलबा हटाकर निकाला गया.उपरोक्त घटीत घटना दि. 31 शनिवार 4 बजे के आसपास की बताई गयी.
अशोक रघुनाथ मोहुर्ले उम्र 60 साल तथा पत्नी लता अशोक मोहुर्ले 55 को गंभीर अवस्था में उप जिला रूग्नालय मुल ले जाया गया जहां प्राथमिक उपचार केवल बाद उन्हे चंद्रपुर जिला रूग्णालय भेजा गया. ज जानकारी के अनुसार अशोक मोहुर्ले की उपचार दौरान शनिवार की रात ही 8 बजे तो पत्नी लता मोहुर्ले 55 की रविवार की सुबह 8 बजे सरकारी रूगनालय मे मृत्यु हो गयी.
घटना की सुचना प्राप्त होते ही तहसिल मंडल अधिकारी तथा नायब तहसिलदार कुमरे मुल सरकारी अस्पताल तहसिलदार मृदुला मोरे के निर्देश पर पहुंचे थे. दुसरे दिन रविवार को भी चंद्रपूर अस्पताल पहुंचे थे. घटना स्थल का पंचनामा कर रिपोर्ट सादर करने के आदेश भी बजाए थे जिसके अनुसार सोमवार को घटना स्थल का पंचनामा होने की जानकारी प्राप्त हुई है.
पंचनामा रिपोर्ट तथा शव विच्छेदन रिपोर्ट के प्राप्त होने पर मृतक के परिवार को तत्काल आर्थिक सहाय्यता दी जाएगी तथा मकान की नुक्सान भरपाई और अन्य जो भी सरकारी सहायता होगी मृतक के परिवार को मुहय्या कराई जाएगी.
तहसिलदार मृदुला मोरे
जिस तरह का हादसा पुरानी दिवार के गिरने से हुआ है.ऐसे हादसे हर कहीं हो सकते है, ग्राम पंचायत हो या नगर परिषद क्षेत्र हो पुरानी ईमारतों की जांच की जानती चाहीये और उन मकान मालिको को नोटिस देकर गिराने के आदेश दिए जाने चाहिए, ना गिराने पर ग्राम पंचायत अथवा नगरपरिषद द्वारा उसे गिरा कर पुरा खर्च मकान मालिक से वसुला जाना चाहीए तभी ऐसे प्राण लेवा हादसे रोके जा सकते हैं.
फिस्कुटी निवासियों के अनुसार उस दिन का तुफान और बारीश तथा बिजली की कडकडाहट कुछ अलग ही थी. जो दिवार गिरी है उसका भारी भरकम पारापेट कहीं और ही जाकर गिरा है जिसकारण कहा जारहा है की यह कमाल बिजली के गिरने का भी हो सकता है.क्योंके दिवार गिरने की स्थिती मे नही थी.जिस मकान की दिवार गिरी उसके मालीक तय्युब खान ने बाजू मे ही नया पक्का मकान बनाया था वे उसी में परिवार के साथ रह रहे थे,पुराने मकान मे सामान रखा हुआ था.
जिस समय यह हादसा हुआ उस समय अशोक मोहुर्ले और उनकी पत्नी तुफानी बारीश के कारण खेत पर से जल्दी ही लौट आए थे और पडोसी तय्युब खान के मकान की गिरने वाली दिवार से लगे अपने किचन मे बडे तल रहे थे शायद पोले के चाकोली बडे आदी बनाने मे दोनो एक दुसरे की सहायता कर रहे थे. लेकीन जो कुछ भी बन रहा था वह कुदरत को मंजुर नही था.बताया जाता है की मृतक को 4 लडकियां थी जो अपने ससुराल में थी, यह पती पत्नी दोनो मेहनत मजदुरी कर अपना जिवणयापन कर रहे थे. पुरे इलाके के लोग शोक मे डुबे हुए उसी एक हादसे की चर्चा और दु:ख व्यक्त करते नज़र आ रहे हैं!
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