मुल / नासीर खान:-जिवण भैय्याजी कोंतमवार द्वारा अशरफ मिस्त्री के खिलाफ दी गयी रिपोर्ट पर मुल पुलिस का प्रेस नोट चर्चा का विषय बन बैठा है. प्रेस के अंत में कहा गया है के आरोपी फरार है अगर किसी अन्य से भी फिरौती की मांग की गयी है तो पुलीस स्टेशन मुल को सुचित करे. यह प्रेस नोट ईस लिए चर्चा का विषय बन गया है के ईस प्रेस नोट पर मुल पुलीस स्टेशन का ना सिक्का है ना ही थानेदार अथवा किसी ज़िम्मेदार अधिकारी के हस्ताक्षर है ईस लिए ईसे अधिकृत भी नही कहा जा सकता जो भी हो ईसमे कहा गया है के " सदर गुन्ह्यातील आरोपी फरार असुन या बाबत ईतर कोणाला ही यांनी खंडणी बाबत मागणी केली असल्यास तसे पो.स्टे.मुल.ला कळविण्यात यावे".
अशरफ मिस्त्री के खिलाफ 15/10/ 24 को जिवण कोंतम्वार ने शाम 17 बजे मुल पुलिस स्टेशन मे रिपोर्ट दर्ज कराई थी. अशरफ मिस्त्री का आफीस गांधी चौक मे एक आलिशान बिल्डींग में है उनका आफीस रोज सुबह 9 बजे खुलता है 12 बजे बंद होता है. फिर शाम 4 बजे खुलता है और रात 8 बजे बंद होता है. रिपोर्ट के दर्ज होने के बाद भी पहले की तरह दैनिक सुबह शाम उनका कार्यालय नियमित अपने समय पर खुल रहा है और बंद हो रहा है. अशरफ मिस्तरी अपनी चेअर पर नियमित अपने आफिस मे बैठे दिखाई दे रहे है बस वह पुलिस को दिखाई नही दे रहे बाकी हर कोई आने जाने वाला मिल भी रहा है और उन्हे सुन भी रहा है अब सवाल उठ रहा है की पुलिस उन्हे फरार बता कर जिवन कोंतमवार की आंखों मे धुल झोंक रही है या उच्च अधिकारीयों के या फिर जनता की आंखों में. आखिर अशरफ मिस्त्री को फरार बताने के पिछे पुलीस का मंशा क्या है.
जनसामान्य के बिच यह लढाई अशरफ मिस्तरी और कोंतमवार के बिच ना होकर पुलिस और अशरफ मिस्तरी के बिच दिखाई दे रही है कोंतम्वार मोहरा दिखाई दे रहे है, ईसका मतलब यह भी नही के कोंतम्वार समाचार पत्र तथा पोर्टलपर अपनी बदनामी से दुखी नही है. जिसके खिलाफ अखबारों में मिडीया पर वाट्सप पर मानहानी तथा उद्योग से संबंधित समाचार आ जाए तों निंद कोसों दुर चली जाती है समाज में चरित्र मैला हो जाता है लोगों कें बिच तथा रिश्तेदारों में यहां तक के अपने परिवार की नज़रों में आदमी गिर जाता है, खाना पीना हराम हो जाता है, मन मस्तिक काम करना छोड देता है शायद ईन्ही परिस्थितियों से कोंतमवार भी गुजर रहे होंगे और ईसी बोझ को हल्का करने उन्होने पत्रकार परिषद आयोजित कर अपनी बात रखी. सच क्या है झुठ क्या है सच्चा कौन झुठा कौन यह तो कोर्ट में मामला दाखिल होने पर ही सामने आएगा जिसके लिए कोर्ट मे मानहानी का दावा जिवण कोंतमवार कोर्ट में दाखिल कर सकते है और कोंतम्वार ने भी पत्रकार परिषद में स्पष्ट किया है के वो कोर्ट में मानहानी का दावा दाखील करेंगे
ईधर अशरफ मिस्त्री भी कोंतम्वार द्वारा दी गयी रिपोर्ट में दाउद ईब्राहिम और रोमेश शर्मा के नाम का उल्लेख कर जान से मारने की धमकी दिए जाने के कथन को लेकर और
फिरौती की मांग किए जाने की पुलिस मे दी गयी रिपोर्ट को लेकर जिवन कोंत्म्वार के खिलाफ कोर्ट मे जा सकते हैं. अशरफ मिस्तरी यह भी कथन करते है की मैने 1993 में दाउद गिरोह कें अनेको शातीर अपराधियों को दिल्ली पुलिस को सटीक जानकारी देकर पकडवा दिया था और कुख्यात रोमेश शर्मा भी धर दबोचा गया था लगभग 30 लोग गिरफ्तार किए गये थे.दाउद गिरोह की 400 करोड की संपत्ती जब्त की गयी थी मैने ईस मामले में ईनाम की राशी भी नही ली. दिल्ली पुलीस के तत्कालीन पुलिस कमिशनर प्रदिप श्रीवास्तव ने अपने पत्र मे लिखा है के जो काम सि बी आई और दिल्ली पुलीस नही कर सकी वह बबल ब्लास्ट अशरफ मिस्त्री ने किया वे पुरी जांच के दौरान हमारे साथ रहे. सोचने वाली बात है के ऊस दाऊद और रोमेश शर्मा की धमकी दे सकता हूं जिनके गिरोह के खिलाफ सबुत और आवश्यक जानकारीयां देकर मैंने दिल्ली पुलिस की सहाय्यता की है जिसके बलबुते दाउद इब्राहिम और रोमेश शर्मा के खिलाफ पुलिस को अभूतपुर्व सफलता प्राप्त
अशरफ मिस्तरी के खिलाफ दि गयी रिपोर्ट मे 10 लाख की फिरौती की मांग का आरोप लगाया गया है इस पर अशरफ मिस्तरी का कहना है की फिरौती समाचार प्रकाशित करने से पहले मांगी जाती है ना की समाचार प्रकाशित करने के बाद. पत्रकार परिषद में हमारे संवाददाता के एक सवाल के जवाब में जिवण कोंतमवार ने ईमानदारी से यह स्विकार किया है के पहले बदनामी कारक समाचार प्रकाशित हुए है बाद में फिरौती मांगी गयी है.
अवैध शराब कारखाने, प्रतीबंध गुटका तंबाकु, सट्टा जुआ जैसे अवैध व्यवसायों पर चंद्रपुर पुलीस का स्काट चंद्रपुर से मुल पु.स्टे.के ईलाके में सफलता पुर्वक छापा मारता है ईसके पिछे अशरफ मिस्तरी का हाथ रहा हैं यही एक कारण है की वे मुल पुलिस की आंख की किरकिरी बने हुए है क्योंके वे ही अवैध व्यवसायों से संबंधित समाचार प्रकाशित करने मे और मुल पुलिस की नाकामिया गिनाने में सबसे आगे रहते हैं ईसी के चलतेअवैध व्यवसायी और पुलीस जिवण कोंतमवार के कांधो का ईस्तेमाल कर उनकी कलम को पुलीस के खिलाफ चलने से रोकने तथा कलम की धार को कम करने का असफल प्रयास कर रही है ऐसा जानकारों का मानना है.
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