मुल / नासिर खान :-मुल पोंभुर्णा बल्लारपुर के विधान सभा के दो प्रमुख प्रत्याशीयों के दिलों की बढती धडकनों का फैसला आज दि.4 को होगा जिसमे शिवसेना के गिर्हे और कांग्रेस बंडखोर अपक्ष उम्मीदवार अभिलाषा पर जनता की नज़रे लगी हुई है. कौन मैदान मे रहता है और कौन मैदान से बाहर जाता है ईसी प्रक्रिया के बाद चुनावी गणित के साथ चुनावी समिकरण खुलकर सामने आ पाएंगे.
सुधिर मुंनगंटिवार, संतोष रावत, ईनमे से किसी एक के लिए अभिलाषा और गिर्हे घातक साबित हो सकते है.अगर गिर्हे पार्टी का आदेश पाकर पिछे हट जाते है तो खेल तिन तिगाडों के बिच होगा अगर अभिलाषा भी पिछे हट जाती हैं तो मैदान मे दो ही बच जाते है, लेकीन समाज के बढते दबाव और पुरे पुरे समर्थन के चलते अभिलाषा पिछे नही हटेगी ऐसा आज की ताजा हलचल से जान पड रहा है.जन चर्चाओं में प्रत्याशी चयन के पहले से ही बच्चे बुढे महिला पुरूषों की जु़बान पर यही एक बात बार बार आ रही है के अभिलाषा को टिकीट मिली होती तो चुनावी मैदान का मंज़र कुछ और ही होता. ईससे स्पष्ट कहना पड रहा है के अभिलाषा कांग्रेस और बिजेपी दोनो प्रत्याशियों में से किसी एक के लिए नुकसान देह साबीत हो सकती है और नसीब बुलंद हो तो अभिलाषा प्रथम क्रमांक पर भी पहुंच सकती है. यहां लोकसभा फैक्टर चलाए जाने की पुरी पुरी संभावना बनी हुई है.
मुल पोंभुर्णा बल्लारपुर विधान सभा 72 पुरे महाराष्ट्र की नज़रे लगी हुई है क्यो के यहां मुनगंटीवार की ही नही तो भाजपा की भी राजनितिक अस्मीता दांव पर लगी हुई है. एक कद्दावर नेता जिसकी छबी जनता के बिच और राज्य तथा केंद्र मे उच्च स्थान पर हो और उसका पतन होने तक भाजपा चुपचाप नही बैठेगी, हर हाल मे मुनगंटीवार की जित पक्की करने में कोई कसर नही छोडेगी ऐसा भाजपा खेमें से आरही जानकारीयों से समझ में आ रहा है.
संतोष रावत को टिकीट पक्की कराने मे वडेट्टीवार ने पुरी ताकत झोंक दी जिसके चलते आलाकमान चयन कर्ताओं ने संतोष रावत के चयन पर मुहर लगा दी लेकीन घोषणा मे जान बुझकर देरी की गयी.आलाकमान के निर्णय से घायल शेरनी अभिलाषा आज बल्लारपुर विधान सभा क्षेत्र में बागी और निर्दलिय उम्मीदवार के रुप मे तुफानी दौरा कर शहर शहर ग्राम ग्राम मे अपने फौज फाटे के साथ प्रचार मे दिन रात एक किए हुए है. कांग्रेस आलाकमान के निर्णय से पहले ही वह अपनी उम्मीदवारी जाहीर करते हुए प्रचार को आरंभ कर चुकी थी. टिकीट मिले ना मिले अभिलाषा का खडा रहना अटल था अब कांग्रेस आलाकमान द्वारा बागीयों को दी जा रही धमकी का अभिलाषा के लिए औचित्य नही है उसे तो आलाकमान के निर्णय को गलत ठहरा कर यह बता देना है के जनता आलाकमान की गुलाम नही है वह अपनी मर्जी से अपना मनपसंद विधायक का चयन करती है !
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