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जनता का करोडो खर्च फिर भी छत्रपती व्यापारी संकुल विरान

मुल / नासिर खान :-छत्रपती शिवाजी महाराज ब्यापारी संकुल का उद्घाटन हाल ही मे वन व सांस्कृतिक मंत्री तथा पालकमंत्री सुधिर मुनगंटीवार के हाथों बडे ही जोर शोर से हुआ था. ईस भवन के निर्माण में करोडो का निधी खर्च भी हुआ ईस भवन में लगभग 61 गाले बनाए गए जिसकी निलामी के अवसर पर मुल तहसिल वासीयोंमे से कोई भी व्यक्ती बोली लगाने सामने नही आया. करोडो की लागत से बने ईस व्यापारी संकुल के 11 नं. के गाले की बोली लगा कर 3 लाख 95 हजार मे गाला खरेदी कर काजू खोबरागडे नामक आम आदमी ने संकुल की लाज रख ली.
Crores of rupees were spent by the public but still the Chhatrapati Merchant Complex was deserted
‌ मुल शहर में मालदारोंकी कोई कमी नही हैं,कहा जाता है की मुल मे ईतना‌ पैसा है के‌ जितना चंद्रपुर जिले में नही है ईसके बावुजूद एक आम आदमी ने एक गाला खरीदा यह सुनकर हर कोई आश्चर्यचकित होता रहा. करोडों की ईमारत अंदर बाहर से बहोत ही खुबसुरत बनाई गई है हर सुविधा उपलब्ध है .नल,जल,विद्युत्, लिफ्ट जैसी सारी सुविधांए मौजुद है इसके बावजुद कोई ईसे खरीदने आगे नही आया.
करोडों की निधी से बने ईस संकुल में 61 गाले बनाए गये हैं निलामी के समय केवल 1 गाले पर बोली लगी बाकी 60 गालों की बोली किसी ने भी नही लगाई ईसके पिछे कारण क्या रहा यह जानने के‌ लिए जब ब्यापारीयों के बिच ईस संबध में चर्चा करने पर बात यह सामने आई के ब्यापारी को ब्यापार से मतलब जहां ब्यापार ही नही हो सकता वहां ब्यापारी लाखो की रकम क्यों डुबोएगा , बोली अगर 10 लाख पर जाती है तो दस लाख न.प.में जमा करना पडेगा, किराया 5 हजा़र रू. महीना, अगर आपका बिजनेस नही चलने पर आप ब्लाक खाली करना चाहो तो आपकी जमा रकम जो 10 लाख है मिलने वाली नही है .ईसी प्रकार का ब्लाक 10 लाख पगडी देकर मार्केटींग लाईन में लिया जाए तो ब्लाक खाली करने पर पगडी के 10 लाख वापस मिलने की गैरंटी है. यहां तो बोली की लाखों की जमा रकम डुबने की पुरी पुरी गैरंटी है.
जनता के पैसों से करोडों का बना भव्य काम्पलेक्स आज जनता के किसी काम का नही रहा ना ही ब्यापारियों के काम का रहा. लगभग 13 करोड से ज्यादा की लागत से बना ब्यापारी संकुल शहर के बिचो बिच स्थित रंग मंच को तोडकर बनाया गया था जहां सामाजिक धार्मिक सभाओं तथा दिगर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ करता था. लोगों का कहना था के वहां एक सुविधा जनक रंगमंच बनाया जाना चाहीए था.सरकार का निधी याने जनता के पैसो की बरबादी तो ना होती .कुछ का कहना है के ब्यापारी संकुल का फ्रंट सामने महामार्ग के तरफ होना चाहीए था और ईसका जि़क्र उद्घाटन के समय पालक मंत्री ने भी किया था.
करोडों के ब्यापारी संकुल मे अब विरानी छायी रहेगी. जिसका दुरूपयोग भी होता रहेगा और चर्चा में बना रहेगा जैसे कन्नमवार भवन आजकल चर्चा मे छाया हुआ है. जिस भी आर्किटेक्ट ने ईस संकुल का नक्शा बनाया उसने नक्शा बहोत ही अच्छा बनाया लेकीन शायद यह ध्यान मे ना रहा के यह व्यापारी संकुल बनने जा रहा है.उसने व्यापारीयों के हित का सोचा ही नही अगर सोचा होता तो सामने नगर परिषद चाल की कुछ दुकाने तोडकर संकुल का फ्रंट महामार्ग साईड का प्रपोझल दिया होता.जिनकी दुकाने टुटती उन्हे संकुल की फ्रंट की दुकाने दी गयी होती.आज संकुल का एक भी गाला खाली ना होता ना विरानी की दशा में संकुल होता व्यापार का चमकता दमकता अच्छा खासा मार्केट होता. अब जनता के बिच सवाल उठने लगा हैं के जनता के करोडो खर्च होने के बाद भी ब्यापारी संकुल विरानी में डुबा हुआ है ईसके लिए जि़म्मेदार कौन ?
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About The Chandrapur Times

यह पोर्टल संपादक, मालिक, प्रकाशक राजेश सनमाहेन सोलापनद्वारा कार्यालय साप्ताहिक दि चंद्रपुर टाइम्स, आक्केवार वाडी, वॉर्ड नं. १, चंद्रपुर, से प्रकाशित किया गया है । प्रकाशित किसी भी लेखन सामग्री पर संपादक सहमत ही हो यह आवश्यक नही । प्रकाशित कि सी भी लेखनपर आपत्ती हाने पर उनका निस्तारण सूचना प्रौद्योगिकी (प्लेटफ़ॉर्म दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) विनियम 2021 के तहत किया जायेगा ।

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