मुल / नासिर खान :-धान उत्पादक किसानों को सरकार द्वारा घोषित बोनस राशी प्रती हेक्टर 20,000 /रू. 26 फेब्रुवारी 2024 के आदेशानुसार अप्रेल 2024 के प्रथम सप्ताह से किसानों के खातों मे जमा होने लगी है.जिनके खातोंमे यह राशी जमा हो रही है वे किसान बहोत ही खुश नज़र आ रहे है. जितने किसान खुश नज़र आ रहे है उससे कहीं ज्यादा किसान जो ईस बोनस लाभ से वंचित रह गये है और जिनके खातो मे बोनस राशी जमा नही हुई ऐसे किसान सरकार की "कही खुशी कहीं ग़म " देने वाली निती का विरोध कर रहे है. नाराज़ चल रहे किसानो की ओर से मांग की जा रही है के सभी धान उत्पादक किसानों को बोनस राशी दी जाए.
धान उत्पादीत किसानों को बोनस पिछले वर्ष से ईसलिए आरंभംकी गयी थी के किसान का धान सरकारी गोदामों मे जमा हो उस समय दाम भी कम थे.इस बार बोनस चुनाव को मद्देनज़र रखते हुए जाहीर किया गया.अधिवेशन में मुख्य मंत्री एकनाथ शिंदे ने धान उत्पादीत किसानों को प्रती हेक्टर 20,000/- रू. बोनस देने की घोषणा की थी.जिसके लिए किसानों की नोंद करने केलिए बाजार समिती मे व्यवस्था की गयी थी.अनेको कारणोंके चलते 3 बार नोंद करने की अवधी भी बढाई गयी ईसके बावजुद अनेकों किसानों की नोंद हो नही पायी.अगर नोंद की व्यवस्था सरकार केंद्र , ग्राहक सेवा केंद्रों पर भी नोंद प्रक्रिया की व्यवस्था दी जाती तो भी किसानो की नोंद हो जाती और आज वे बोनस राशी से वंचित नही होते.
सरकारी गोदाम में धान पहूंचा हो या ना पहुंचा हो बोनस राशी नोंदनीकृत किसानों के खातों में पहूंच गयी है और जमा हो गयी है जिनकी नोंद नही हो पायी वे वंचित रह गये. धान गोदाम नही पहूंचा बोनस राशी खातों में जमा हो गयी स्पष्ट दिखाई दे रहा है के दीया जा रहा बोनस चुनावी बोनस हैं. जिनके खातों में 20 से 40 हजार जमा हो गये वो किसान बहोत खुश है जिसमे बडे धन संपन्न किसानो को भी बोनस लाभ मिला है नाराज वही हैं जिन्हे बोनस लाभ नही मिला है.
सरकार को यह चर्चित चुनावी बोनस देना था तो ,सभी धान उत्पादित सभी किसानो को देना चाहीए था.नोंद अन नोंद यहां क्या मायने रखता है नोंद तो इसलिए थी के किसानों का धान सरकार भाव से खरीद कर सरकारी गोदाम भरे जाए, यहां धान गोदाम पहूंचा नही पहूंचा खातों में बोनस जमा हो गया. सरकार की किसानों के प्रती गलत नितियों का खामियाजा़ आने वाले चुनाव मे सरकार को निश्चित ही भुगतना पडेगा अगर किसान सरकार विरोधी हो जाए!
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