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सरकार की करोड़ों की योजना फिर भी, ग्रामीण लाडली बहना को पनघट की तलाश

मुल / नासीर खान :-
जनता को शुध्द जल मिले इसके लिए सरकार की अनेको योजनाओं पर करोडो खर्च हो गये ईसके बावजूद भर ठंड के मौसम में 30 ग्रामों को जल वितरण करने वाली चारो जल योजनाएं शासन प्रशासन की गलत नितियों के कारण पुरी तरह ठप्प हो गयी है. ‌ जिसके पिछे कारण ग्रामिण ईलाके की जल वितरण योजनाओं का बिजली बिलों का भुगतान ना किया जाना बताया जा रहा है.
Despite the government's plans worth crores, the rural Laadli Behna is still looking for a Drinking water
सरकार ने जल योजनाओं पर करोडो खर्च किए, कमिशन खोरों की जेब मे कमिशन पहुंच गया, ठेकेदार ने माल कमा लिया,ना जाने किस किस ने अपने हाथ शुध्द जल योजना मे धो लिए हर दो तीन महिने में कभी पाईप लाईन फट जाती हैं,कभी मोटर बेकाम हो जाती है कभी कुछ और बिगाड हो जाता है तो कभी बिल ना भरने के कारण जल योजना भर ठंडकाले मे पुर्ण त: ठप्प हो जाती है आखीर योजना सरकारी हैं. लगता है लाडली बहना के सत्ताधारी भाईय्यों को ग्रामिण बहनों का पानी के लिए नदीयों,नालों पर भटकते और हैंड पम्पो पर लाईन में लगे रहना बहोत अच्छा लगता है.
ग्राम पंचायतों में जिन ग्रामिणों ने जल टैक्स ईमानदारी से भरा है उन्हे भी पानी नही मिल रहा जल योजना से. जल योजना के तहत दिए गये कनेक्शनों से जल टैक्स वसुली करना उन सरकारी अधिकारी ग्रामसेवकों का काम है जिन्हे सरकार ने सचिव बनाकर ग्राम पंचायत मे बिठाया है. सचिव चाहे तो हर घर से मालमत्ता और जल टैक्स वसुल कर सकता हैं क्यों के हर किसी को किसी ना किसी दाखले की जरूत होती है लेकीन वह अपने निजी स्वार्थ तथा आर्थिक लाभ को पहले प्राथमिकता देता है. जांच पर यह बात सामने आ सकती हैं के टैक्स बाकी है फिर भी दाखले दिए गये है. वसुली हो ना हो सरकार पगार तो पुरा दे ही रही है. सरकार अगर टैक्स वसुली को लेकर सचिव को ज़िम्मेदार ठहराते हुए‌ " वसुली नही पगार नहीं " और " वसुली नही तो ग्राम पंचायत को निधी नही " यह रवैय्या अखत्यार करे तो देखा जा सकता है के समय से पहले 100 /- प्रतिशत वसुली हो सकती है. और सरकार की जनहित मे जारी जल योजनांए सुचारू और नियमित रूप से चल सकती है ऐसा जानकारों का मानना है.
शासन की चारो जल योजनाए बिजली पर अवलंबीत है जिसमे मुल 24 गांव ग्रिड योजना का बिल लगभग 10 लाख,बेंबाल योजना 5 लाख,बोरचांदली योजना 5 लाख, टेकाडी योजना केवल दो ग्राम बिल 8 लाख का जब जिला परिषद नही भर पा रही है फिर योजना से जुडी ग्राम पंचायते ईतना बिल कैसे भर पाएगी यह भी एक सवाल खडा हो रहा है.लाखो का बिल थकीत होने पर बिजली विभाग द्वारा लाईन काट देना यह कहीं भी गलत नज़र नही आता.
सरकार की अन्य योजनाओं में चर्चित भ्रष्टाचार के मामलो मे पंचायत समिती के गट विकास अधिकारी भी ग्रामिण जनता के बिच उतने ही भ्रष्ट कहलाने लगे है जितने संबधित विभाग के अधिकारी जो कागज़ काले करने के अलावा सुनियोजित ढंग से बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं . किसी मामले में‌ अगर कोई तक्रार होती है तो तक्रारकर्ता का समाधान हुआ नही हुवा यह कभी नही देखा जाता वह ईसलिए के भरपुर पगार बिना पसीना बहाए मिल रहा है तथा अन्य मार्गों से लक्ष्मी ईनके दर्शन के लिए घर बैठे आ रही है. खेती मे कुंए निर्माण तथा अन्य योजनाओं में भ्रष्टाचार बेधडक होने की चर्चा सरे आम चल रही है.सरकारी योजनाओं मे पंचायत समिती अधिकारीयों द्वारा ग्रामिण ईलाकों मे बढता भ्रष्टाचार अब उच्च स्तरीय जांच का विषय बन बैठा है लेकीन जांच होगी नही क्योंके भ्रष्टाचार की गंगा निचे से उपर को बह रही है जिसके चलते हर योजना भ्रष्टाचार में डुबी हुई है और सरकार बदनाम हो रही है.
तालुका की चारों जल योजनांऐ बिजली बील का भुगतान ना करने तथा महावितरण द्वारा लाईन काट दिए जाने के कारण पुरी तरह ठप्प हो गयी है. ईस पर जल्द ही कोई समाधानकारक हल निकलने की उम्मीद है.
कुणाल येनगंदेवार
उप अभियंता
ग्रामिण जल वितरण उप-विभाग, पंचायत समिती, मुल
काश यह शुध्द जल योजना चुनाव से पहले ठप्प होती तो कुछ और बात होती
15 वे वित्त आयोग के तहत ग्राम पंचायत को प्राप्त होने वाली 30 % प्रतिशत निधी से ग्रामिण ईलाके की जनता को शुध्द जल दे पाना असंभव है. जनता के बिच यह कहा जाने लगा है की जल योजना नियमित जारी रखने के लिए जिला परिषद और पंचायत समिती ने मिल कर विद्युत बिल का भुगतान करना चाहीए. विषेश यह की चारो जल योजनाए लगभग 15 दिनों से ठप्प हो जाने के कारण 30 ग्रामों के नलों में जल नही आ रहा है.लाडली बहना पानी के लिए पनघट की तलाश में यहां वहां भटक रही है जिस पर कोई भी राजनितीक पार्टी का नेता चिंता या आंदोलन की बात करता दिखाई नही दे रहा है शायद ईसलिए के ईस वक्त चुनाव का मौसम नही है अगर होता तो हर पार्टी का नेता आंदोलन की बात करता नज़र आता और ठप्प जल योजना पर कोई हल तुरंत निकल पाता. बिजली विभाग ने भी लाईन कट की कारवाई चुनाव से पहले की होती तो बात कुछ और होती. राजनितीकों के हाथ एक बडा मुद्दा आ जाता, शासन प्रशासन तुरंत बिल भर देता लेकीन यहां लगता है की महावितरण के अधिकारीयों ने सुझबुझ से काम लिया और चुनाव बाद कारवाई अपनाई.काश महा वितरण द्वारा यह कारवाई चुनाव पुर्व अपनाई गयी होती तो लाखों का बिल उम्मीदवार ही भर देते और पुण्य का ढिंडोरा पिट लेते !

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About The Chandrapur Times

यह पोर्टल संपादक, मालिक, प्रकाशक राजेश सनमाहेन सोलापनद्वारा कार्यालय साप्ताहिक दि चंद्रपुर टाइम्स, आक्केवार वाडी, वॉर्ड नं. १, चंद्रपुर, से प्रकाशित किया गया है । प्रकाशित किसी भी लेखन सामग्री पर संपादक सहमत ही हो यह आवश्यक नही । प्रकाशित कि सी भी लेखनपर आपत्ती हाने पर उनका निस्तारण सूचना प्रौद्योगिकी (प्लेटफ़ॉर्म दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) विनियम 2021 के तहत किया जायेगा ।

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