चंद्रपुर:- राज्य के कांग्रेस के एकमात्र सांसद सुरेश उर्फ बालू धानोरकर का आकस्मिक निधन हो गया. एक अल्प बीमारी उनकी मौत का कारण बनी. वे मात्र 47 वर्ष आयु के थे. वे बुधवार को अपने पैतृक गांव वरोरा में पंचतत्व में विलीन हो गए. हजारों की संख्या में एकत्रित हुए लोगों ने अपने प्रिय नेता को विदाई दी. Thousands of people bid farewell to the popular leader MP Balu Dhanorkar
आज बुधवार की सुबह उनके निवासस्थान से अंतिमयात्रा निकाली गई. वरेारा_वणी मार्ग के मोक्षधाम में दोपहर 1 बजे शासकीय तरीके से उनका अंतिम संस्कार किया गया. सांसद बालु धानोरकर के बडे बेटे ने उन्हे मुखाग्नी दी. उन्हे शासकीय तरिके से पुलिस दल ने सलामी दी.
बुधवार की सुबह 10.20 बजे अभ्यंकर वार्ड के उनके निवासस्थान से फुलों से सजे वाहन में उनका शव रखा गया था. निवासस्थान से श्मशान घाट तक अंतिम यात्रा निकाली गयी. मार्ग में चाहनेवालों ने पुष्पमाला व पुष्प अर्पित किए. उनके पिछे विधायक प्रतिभा धानोरकर का वाहन था. चंद्रपुर जिला, विदर्भ व राज्य भर से हजारों कार्यकर्ता धानोरकर के अंतिम संस्कार के लिए आए थे. तपते धूप में रास्ते के दोनो ओर लोगों की भीड जुटी थी. दौरान बुधवार को संपूर्ण वरोरा शहर बंद रखा गया था. कई व्यापारीयों ने प्रतिष्ठानों को बंद रखरक बालु धानोरकर को श्रध्दांजली अर्पित की.
श्मशानभूमि में राज्य के वनमंत्री तथा जिले के पालकमंत्री सुधिर मुनगंटीवार, राष्ट्रीय ओबीसी आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर, पूर्व पालकमंत्री विधायक विजय वडेट्टीवार, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष विधायक नाना पटोले, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विधायक चंद्रशेखर बावनकुले, पुर्व मंत्री विधायक यशोमती ठाकुर, पुर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंढे, शिवसेना नेता विनायक राऊत, राष्ट्रवादी कांग्रेस के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख, पुर्व सांसद प्रकाश जाधव, पुर्व विधायक वामनराव कासावार, जिला बैंक के संचालक संजय देरकर, विधायक सुभाष धोटे, विधायक किशोर जोरगेवार, पुर्व मंत्री नितीन राऊत, सुनिल केदार, शिवाजीराव मोघे, मुकूल वासनिक, आदि समेत सर्वपक्षीय नेता कार्यकर्ता सहभागी हुवे थे. शोकसभा में सुधीर मुनगंटीवार, हंसराज अहीर, अनिल देशमुख, विजय वडेट्टीवार, नाना पटोले, सुभाष धोटे आदि ने शोकसंवेदना व्यक्त की. विधायक प्रतिभा धानोरकर ने धानोरकर परिवार पर आयी परिस्थिति में वक्तव्य किया. इस क्षेत्र का एक बाघ गया व उनकी लोकप्रियता यहां पर उमडी भीड से साफ झलक रही है यह कहकर वह भावुक हो गयी. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लीकार्जुन खरगे द्वारा भेजे गए पत्र का वाचन किया गया. अंतिम संस्कार के दौरान एड. वासाडे, उपविभागीय अधिकारी शिंदे, चिंतामनी आत्राम तथा जिले के नेता, पदाधिकारी, कार्यकर्ता, गांव व बाहरी जिले का जनसमुदाय उपस्थित था.
चार दिन पहले अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने से उन्हें नागपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां किडनी स्टोन की समस्या पर उनका उपचार किया गया, लेकिन पेट में असहनीय दर्द के कारण उन्हें एयर एंबुलेंस से दिल्ली के मेदांता अस्पताल में ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान मंगलवार को तड़के ढाई बजे उनका निधन हुआ. किडनी स्टोन के साथ साथ ही उन्हें पैंक्रियाज की भी शिकायत थी, जहां उन्हें इंफेक्शन हुआ था और वह इंफेक्शन शरीर के अन्य हिस्सों तथा अंगों तक फैल गया था, जिससे उनके एक एक अंगों ने काम करना बंद कर दिया था,मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर के चलते उनका देहांत हुआ.
एक शिवसैनिक से सांसद तक का उनका राजनीतिक सफर रहा. वर्ष 2009 को उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था, पहली असफलता के बाद वे वर्ष 2014 को शिवसेना से विधानसभा में निर्वाचित हुए थे. वर्ष 2019 को उन्होंने कांग्रेस की तरफ से लोकसभा चुनाव में भाग लेते हुए समूचे महाराष्ट्र से कांग्रेस के एकमात्र सांसद के रूप में निर्वाचित होने का गौरव हासिल किया था. उल्लेखनीय है कि, 2 दिन पूर्व ही उनके पिता नारायण धानोरकर का लंबी बीमारी के बाद देहांत हुआ था, लेकिन सांसद धानोरकर स्वयं नागपुर के अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे, जिससे वे अपने पिता की अंत्येष्टि में शामिल नहीं हो पाए थे.
शिवसैनिक से सांसद तक रहा धानोरकर का राजनीतिक सफर
एक शिवसेना कार्यकर्ता से सांसद तक का रहा था 47 वर्षीय सुरेश धानोरकर का राजनीतिक सफर. यह सफर उन्होंने मात्र 13 वर्ष में ही पूर्ण कर लिया था.
जिले के भद्रावती में 4 जुलाई 1975 को जन्में सुरेश धानोरकर ने भद्रावती के विवेकानंद कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की. यूं तो उन्होंने बीए पाठ्यक्रम के लिए कॉलेज में प्रवेश लिया था, लेकिन यह शिक्षा अधूरी ही छोड़ कर उन्होंने डी फार्म करना चाहा, लेकिन यह शिक्षा भी वे पूर्ण नहीं कर पाए, उनकी रुचि राजनीतिक क्षेत्र में नाम कमाने की ओर अधिक थी. उन्होंने शिवसैनिक के रूप में काम करना प्रारंभ किया, शिवसेना के तालुका प्रमुख पद पर काम करते हुए उनके भीतर की ऊर्जा को भांपते हुए आयु के 31 वें वर्ष में ही उन्हें शिवसेना ने चंद्रपुर जिला प्रमुख की कमान सौंपी थी. वर्ष 2009 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव में नसीब आजमाकर देख लिया, लेकिन मामूली अंतर से वे चुनाव जीत नहीं सके. वर्ष 2014 में उन्होंने पुनः शिवसेना की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और वे विधायक के तौर पर महाराष्ट्र विधानसभा में पहुंचे.
वर्ष 2019 को उन्होंने कांग्रेस में प्रवेश कर लोकसभा चुनाव लड़ा. इस चुनाव में वे मोदी लहर के बावजूद चंद्रपुर संसदीय क्षेत्र से बहुमत से जीत गए. इस जीत से वे महाराष्ट्र के एकमात्र निर्वाचित सांसद के रूप में पहचाने जाने लगे थे. उन्होंने भाजपा के पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री हंसराज अहीर को पराजित किया था. राजनीतिक क्षेत्र में वे अभी और लंबी पारी खेलेंगे ऐसी उम्मीद व्यक्त की जा रही थी कि, अचानक उन्होंने दुनिया से विदा ले ली.
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