मुल / नासीर खान:-बस स्थानक मुल के सामने गंदी नाली में लगे नल पाईप से बहते पानी को फाईबर कैन से भरकर फुटपाथ की होटलो,झुनका भाकर केंद्रों, चाय टपरीयों पर,भेल गुपचुप के ठेलों पर ग्राहको को पिने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह पानी आज से नही बरसों से ग्राहकों को पिलाया जा रहा है. पहले यह पाईप नाली के अंदर नही था,एक जमाना था जब नगर परिषद के जगह जगह सार्वजनिक नल थे,अब सार्वजनिक नल कहीं नज़र नही आते.यह नल का पाईप जो आज नाली मे दिखाई दे रहा है वह कभी सार्वजनिक नल हुआ करता था और जमीन के उपर था.
सुधिर मुनगंटीवार विधायक के लिए ईस क्षेत्र से चुने गये और मुल मे विकास की गंगा बहने लगी सिमेंट रोड बनने लगे पक्की सिमेंट नालीयां बनने लगी उस समय यह नल का पाईप काटकर बंद किया जा रहा था तब परिसर के लोगों ने नाली काम के ठेकेदार से विनंती की थी यह नल बंद ना किया जाए ईससे पुरे परिसर को मिठा पानी मिलता है ठेकेदार के आदमी ने लोगों कि जरूरत को ध्यान मे रखते हुए पाईप को बिना काटे ही नाली का काम पुरा किया,नाली उपर हो गई पाईप निचे बिच मे रह गया. आज उसी नाली मे उतर कर पाईप से बहता पानी कैन मे भर कर उसका ईस्तेमाल फुटपाथ दुकानदार बरसों से कर रहे हैं.चटोरा खाने वाले,टपरी पर चाय पिने वाले यह थोडे ही देखते हैं के मिठा पानी कहां से आ रहा है.
मुल नगर परिषद का जल विभाग सब जानते हुए भी कुछ करने की नही सोचता, चाहता तो बहोत ही कम खर्च में नाली के पाईप को पांच छ: फुट का पाईप का टुकडा जोडकर नाली से उपर उठाकर उसे एक टोटी लगा सकता थाऔर शुध्द जल लोगों को मिलता. सही मानों मे नगर परिषद मे जाने वाले अपने स्वार्थ में डुबे रहे और अधिकांश कर्मचारी कुर्सिया तोडते रहे और कुछ ठेकेदारीयां करते रहे. ईस परीसर के टपरी वाले भी अगर दस दस रूपये वर्गणी जमा कर छ: फीट पाईप खरीद कर पाईप लगा सकते थे,और शुद्ध जल ग्राहकों को पिला सकते थे. नगर परिषद के मुख्य अधिकारी ईस ओर ध्यान दें तो बरसों से पिलाया जा रहा अशुध्द जल शुध्द जल के रूप मे ईस परिसर के फुटपाथ पर रोजी रोटी कमाने वालों तथा उनके ग्राहको मिल सकता है लेकीन जनता की सुविधाओं असुविधाओं पर सोचने का समय किसके पास है !
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