मुल/नासीर खान :-विधान सभा चुनाव में हर नेता अपनी टिकीट पक्की समझकर जनता की समस्याओं को उठाने और लिखित शिकायते करने और अधिकारियों को निवेदन देते हुए फोटो खिचाने मे लगा हुवा देखा गया हैं साथ ही आंदोलन की भाषा ईस्तेमाल करने मे नही चुका है.समाचार पत्रो में आंदोलन वाले समाचारों को लोगो ने पढना लगभग छोड ही दिया था.निवेदन के साथ फोटो और आंदोलन की भाषा को लोग चुनावी फंडा कहने लगे थे. सरकारी अधिकारी भी निवेदन लेते हुए फोटो खिचवाने मे पिछे नही रहे वे भी समझने लगे थे की जब तक आचार संहीता नही लगती तब तक यह नाटक और आंदोलन की भाषा चलती रहेगी.आचार सहिंता लगते सब बंद हो गया अब इंतेज़ार विपक्षियों को उम्मीदवारी ज़ाहीर होने का.
चुनावी चौपालों मे बल्लारपुर विधान सभा से डा.अभिलाषा गावतुरे को कांग्रेस की उम्मीदवारी पक्की समझी जा रही है क्योंके कांग्रेस के पास उनके अलावा ऐसा कोई उम्मीदवार नही जो मुनगंटीवार को टक्कर दे सके अगर अभिलाषा गावतुरे को उम्मीदवारी ना देकर कीसी अन्य को टिकीट दी जाती है तो गावतुरे अपक्ष उम्मीदवार के रुप मे मैदान में उतर सकती है ऐसा हालात और उनकी तय्यारीयों से जान पडता है, एक चर्चा यह भी चल रही है की रावत को कांग्रेस से टिकीट मिलें ईसके लिए मुनगंटीवार भी प्रयासरत है. अगर यह सही हैं तो ईसे भी राजनिती का एक हिस्सा समझना होगा. ऐसी स्थिती में कांग्रेस आलाकमान एंवम ईंडिया गठबंधन के लिए स्थिती चिंतजनक हो सकती है. ईसी के चलते चुनावी उत्साह में गिरावट सी आ गयी है पारा उतरता दिखाई दे रहा है क्योंके भाजपा अपने ईस गढ को हर हाल मे ढहने देना नही चाह रही है वह पुरी ताकत मुनगंटीवार पर झोंकने की तयारी कर चुकी है यह राज्यपाल कें दौरे से स्पष्ट हुवा जा रहा है. राज्यपाल अंग्रेजी मे क्या कह गये यह भले ही ग्रामिणों आदिवासियों के समझ ना आया हो लेकीन ईतना तो समझ मे आगया के चुनाव प्रचार हेतू बडी बडी हस्तिया बडे बडे कलाकार चंद्रपुर, बल्लारपुर विधान सभा मे भाजपा के ही नही तो ईंडीया के स्टेज पर भी निश्चित ही देखने को मिलेंगे.
भाजपा की ओर से सुधीर मुनगंटीवार अधिकृत उम्मीदवार तय है.उनका प्रतीस्पर्धी कौन रहता है ईसकी मुनगंटीवार को तनिक भी चिंता नही हैं वे अपना प्रचार आरंभ कर चुके है , हर शहर हर ग्राम हर संस्था चाहे वह सामाजिक हो शैक्षणिक हो, व्यवसायीक हो उनसे मिल रहें है. कहते है ना दुध का जला छांच भी फुंक फुंक कर पिता है यही हाल अभी मुनगंटीवार का है. अंतर्विरोध यह तो हर पक्ष में बना रहता हैं, दुखी आत्माओं और बगल में छुरी वाले भी हर पक्ष में बने रहते है यह सब कुछ जानते समझते हुए ही मुनगंटीवार रात दीन एक किए हुए है यह उनके क्षेत्र में जारी तुफानी दौरों से समझा जा सकता है. लोकसभा मे कहां गलतियां हुई, कहा विश्वासघात हुए, टांग पकड कर खिंचने वाले कौन थे ईसका आकलन तो वे पहले ही कर चुके होंगे अब उन गलतीयों की पुनरावृत्ती वे बिलकुल भी होने देना नही चाहेंगे.
ईस बार जानता का मुड लोकसभा वाला ही रहेगा ऐसा लगता नही है, जनता का मुड उम्मीदवार पर भी निर्भर रहता है.उम्मीदवार की कुंडली भी देखी जाती है,उसके अंदर के स्वार्थ को देखा जाता है, उसके अंदर छुपे रावण को भ देखा जाता हैं और डि एन ए पर भी गौर किया जाता है.कल के और आज के व्यवहार के व्यवहार का आकलन किया जाता है तब कहीं जाकर मुड बनने लगता है और फिर किसी एक पर आकर ठहर जाता है फिर मन जिसे पसंद कर लेता है वह पसंद अंतिम और निर्णायक होती हैं जो मतदान तक बनी रहती है जिसे ना नोट ना कोई बोतल बदल सकती है.
मुनगंटीवार डाल डाल तो गावतुरे पाद पाद दोनो प्रचार मे सबसे आगे चल रहे हैं रात दीन एक किए हुए हैं यदी गावतुरे को कांग्रेस की उम्मीदवारी मिलती है तो भाजपा के मुनगंटीवार को बराबरी का प्रतिस्पर्धी मैदान मे दिखायी देगा उससे कैसे निपटना है ईसकी पुर्व तयारी भी मुनगंटीवार ने कर रखी होगी यह तो निश्चित हैं. प्रचार में तिसरे नंबर पर संतोष रावत दिखाई दे रहे हे वह उम्मीदवार की घोषणा वाली तारीख का ईंतेज़ार कर रहे हैं.यही ईंतेजार जनता के बिच भी बडी बेसबरी से हो रहा है.मुल बल्लारपुर की उम्मीदवारी को लेकर बडा पेच चल रहा है जिसके चलते मुंबई आलाकमान दो खेमें मे बंट चुका हैं ऐसा राजनितिक हल्कों में चल रही हलचल भरी चर्चाओं से जान पड रहा है. देखना है ईस पेंच को लेकर ऊंट किस करवट बैठता है और किसकी झोली मे उम्मीदवारी का श्रिफल गिरता है.
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