मुल / नासिर खान:-
जनता के बिच उसे मस्नयाऊद तो कहीं कबर बिज्जू भी कहा जाता है अंग्रेज़ी मे उसे ईशियन पाम सिव्हेट नाम से पहचाना जाता है. यह प्राणी अब लुप्त सा हो गया है ईसे अक्सर कब्रिस्तानों मे देखा जाता था. ताज़ा कब्रों को खोदकर मुर्दों को अपना भोजन बनाता था.आजकल वह कब्रिस्तानों मे भी नज़र नही आता. धर्ती से लुप्त होती मसन्याउद की प्रजाती का होना पर्यावरण के लिए आवश्यक ऐसा पर्यावरण संस्था के उमेश सिंह झिरे ने स्पष्ट करते हुए कहा के पहली बार ईस प्राणी को पकडने का अवसर हमें प्राप्त हुआ है.
The caged Asian palm civet was released into the jungle and given life donation
धर्ती पर लुप्त हो चुके ईस प्राणी को हाल ही में देखा गया जिसे संजिवन पर्यावरण संस्था के सदस्यों ने सुचना प्राप्त होने पर पहली बार पिंजरे मे कैद किया है. पर्यावरण संस्था के अध्यक्ष उमेश सिंह झिरे के अनुसार यह जोडा रहा होगा जिसकी तलाश की गयी लेकीन दुसरा मिल नही पाया आज नही तो कल दुसरा भी उसी ईलाके में नज़र आने की उम्मीद जताई है. मसन्याउद को पिंजरे में कैद कर जंगल मे छोड जिवण दान दिया गया.
कैद किया गया प्राणी मसन्याउद ही होने की जानकारी उमेश सिंह झिरे ने देते हुए स्पष्ट किया के ईस प्राणी की उम्र 15 से 25 साल की होती है यह निशाचर पेडों की खो मे अथवा पुराने खंडहर मकानों में अपना आशियाना बनाए रहते है. ईस मसन्याउद को वार्ड नं. 14 निवासी किशोर ठेंगणे के दुसरे मज़ले पर रिपेरींंग काम करते समय देखा गया जिसकी सुचना प्राप्त होते ही संजिवण प्रयावरण संस्था के अध्यक्ष उमेश सिंह झिरे और उनकी टीम के सदस्य मौके पर पहुंच गये और मसन्याउद को पिंजरे मे कैद करने मे सफलता प्राप्त की.
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